एहसास को शब्दों में पिरोकर लिखता हूँ
में ज़िन्दगी जी कर वक़्त की दास्ताँ लिखता हूँ
दीखता है जो वो हमेशा सच नहीं होता
में दिल से सच की सच्चाई देखता हूँ
कोई कैसे औरो की तकदीर लिख सकता है
में इंसान की इसे बड़ी नादानी सोचता हूँ
जज्बा मोहाबत का बस एक पल है दिलो में
निभाते है जो वफ़ा की रस्मे दीवानगी समझता हूँ
कभी ज़ख्म मिले तो तुम मायूस मत होना
गिरकर जो संभलते है लोग जीतेंगे जानता हूँ
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